जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
आपका बन्दा हूँ (Aapka Banda Hu Kahani)

एक बादशाह था जब वह बूढ़ा लोने लगा तो उसने राजकुमार से कहा कि जाओ नगर के बाहर जंगल की तरफ एक महात्मा रहते हैं वहां उनकी सेवा करो । जब वे कह दें कि तुम जाओ तब तुम लौटना | मैं तुम्हें अपनी गद्दी सौंपकर वानप्रस्थ में चला जाऊँगा |

राजकमार महात्मा जी के पास चला गया । उन्होंने पूछा कि तू कौन है ? वह बोला कि मैं बादशाह का लड़का
हूं | महात्माजी ने कहा कि तू बादशाह का लड़का है तो या क्यों आया ? तू वहां रह और राज कर | भोला भाला राजकुमार कुछ समझ न सका और लौट आया | बादशाह ने पूछा की तू इतनी जल्दी केसे लौट आया ? उसने सारी बात बताई बादशाह ने उसको समझाया कि महात्माओं और फकीरों के सामने बात करने का एक अदब तरीका होता है| तु फिर जा और जब वह पूछे कि तू कौन है क्यों आया है तब कहना कि में आपका वन्दा हूँ और आपकी खिदमत करने
के लिये आया हूँ । तू उनकी सारी खिदमत दिलोजान से करना और जब वे कहें कि जा तभी लौटना अब तू वापस जा।

राजकुमार फिर महात्मा जी के पास गया | उन्होंने पूछा कि अब क्यों आया ? उसने कहा मैं आपका वन्दा हूँ, आपकी खिदमत में आया हूँ । महात्मा जी ने कहा कि ठीक है, कर खिदमत | राजकुमार महात्मा जी के पास रहकर हर तरह की छोटी बड़ी सेवायें करने लगा ६-७ महीने बीत
गये महात्मा जी ने राजकुमार को बुलाया और कहा कि जा तू लौट जा और राज्य कर | लेकिन ये न समझाना कि राज्य मेरा है तुझे केवल काम करना है | ऐसा करेगा तभी तूं रियाया को खुश रख सकेगा | राजकुमार महात्मा जी को प्रणाम करके राज्य को वापस लौट आया |

इस कहानी को सुनाते हुए स्वामी जी ने कहा कि पहले के राजे महाराजे महात्माओं को आगे रखते थे तब उनका राज्य सुचारु रूप से चलता था क्योंकि महात्मा राजा और प्रजा के बीच में खड़े रहते थे, इसलिये दोनों के सम्बन्धों में कोई गड़बड़ी नहीं आने पाती थी |