जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
दुखिया सब संसार (Dukhiya Sab Sansar Kahani)

नानक जी एक बार अपने दो शिष्यों बाला मर्दाना के साथ देशाटन को चले । उन्होंने किसी गांव में एक जमीन्दार के घर के सामने डेरा डाल दिया । वहीं धर्म उपदेश करने लगे | बला का परिचय जमीन्दार साहब से हो गया, वह सत्संग में चले आते । बाला उनके घर भी जाने लगा | जमीन्दार साहिब के पास दुनियाँ के सुखों का सभी सामान उपलब्ध था । घर-द्वार जमीन जायदाद बाग बगीचा परिवार बच्चे सब कुछ कोई भी ऐसी चीज नहीं थी जो न हो । बाला नानक से कहता गुरुजी आप तो कहते हैं कि संसार में सब दुखी हैं पर जमीन्दार साहब को तो कोई दुःख नहीं है । उनके पास सुखों के सब साधन हैं । नानक जी हंसते और कहते बाला इस संसार में कोई सुखी नहीं है । एक न एक दुख से सभी पीड़ित हैं | वह कहता - गुरूजी जमीन्दार साहब को तो कोई दुःख नहीं है । "

एक दिन अचानक नानकजी ने कहा - बालां जाओ जमीन्दार साहब से उनके दुःख दर्द की कहानी पूछो, बाला गया । जमीन्दार साहब अकेले बैठे हुए थे । बाला ने बातचीत शुरू की और पूछा आपको कोई कष्ट तो नहीं है ? इस पर जमीदार साहब की आंखें भर आर्यी | गला रुँध गया | बाला आश्चर्य से उनको देखने लगा । जमीन्ददार साहब ने दुःखी भरी आबाज में अपनी कहानी सुनाई । बोले -बाला जी ! मेरे जैसा दुःखी इन्सान आपको इस दुनिया में नहीं .मिलेगा मैं किसी तरह से अपने दिन पूरे कर रहा हूं । मेरी पत्नी है मैं उसे बेहद ही चाहता था, एक बार वह बीमार पड़ी मैंने उसे उपचार में जी जान लगा दिया पर डाक्टरों ने अन्त में जबाव दे दिया | उनका कहना था कि अब यह उठ नहीं सकती किसी भी दिन ये दुनिया से विदा ले लेगी | मुझे बड़ा धक्का लगा | मैं सोचने लगा कि कहीं इसके जाने के बाद मेरी इच्छा फिर न हो जाय विवाह करने की । अत: मैं वह काम करूँ जिससे इच्छा उठने का प्रश्न ही न रह जाय | .लेकिन, भगवान की मर्जी उसके बाद से मेरी पत्नी स्वस्थ होने लगी | मैं बड़ा ही प्रसन्न हो रहा था। बाल बच्चे थे ही कमी किसी बात की न थी | पत्नी एकदम स्वस्थ हो गई | मैंने मन ही मन ईश्वर को धन्यवाद दिया | पर आज वही पत्नी मुझे नकार चुकी है । मैं सब देखता हूँ समझता हूँ पर कुछ नहीं सकता | जवान पर ताला लगा है और जी रहा हूँ | मैं कभी इस बात को सोच भी नहीं सकता था कि जिस पत्नी के लिये मैंने अपने दुच्छाओं की कुर्वानी दे दी वही मुझे नकार देगी कहकर जर्मीदार साहब रो पड़े । बाला भी चुपचाप सुनता रहा और फिर उदास होकर लौटा । गुरुजी ने पूछा -- कहो बाला जर्मीदार साहब सबसे सुखी है। । बाला ने नकारात्मक सिर हिलाया और चुप रहा । नानक जी ने कहा

दखिया सब संसार सो सुखियाँ जिन राम आधार