जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
जीते जी मर जाओ (Jete Ji Mar Jao Kahani)

die alive

स्वामी जी महाराज ने सत्संगियों को बताया कि तुम्हें जीते जी मरना होगा । मरते वक्त आत्मा यानि सुरत का खींचाव होता है । जिस रास्ते से सूरत शरीर में आती है, उसी रास्ते से वापस जाती है । सुरत अपने देश सत्तलोक से नीचे उतर कर दोनों आंखों के पीछे तीसरे तिल से सुरत की किरणें नाभि से टकराकर सारे शरीर में फैलती है और सारे शरीर को जीवन देती है । मौत के वक्त सुरत का सिमटाव होता है । ऐसी अवस्था साधना के वक्त साधक की होती है मरने के पहले एक बार मरना सीख जाओ तो मरने का खौफ खत्म हो 'जायेगा । फिर जब अन्त समय आयेगा तब हँसते-हँसते सेकेण्डों में इस शरीर से अलग हो जाओगे | जो साधना करते हैं वो हजारों बार मरते हैं और फिर शरीर में वापस चले जाते हैं । आत्मा शरीर से अलग होकर देखती' है कि यह मेरा शरीर पड़ा हुआ है । यह शरीर किसी काम का नहीं है इस शरीर में रहते ही. अपना काम पूरा कर लो न जाने कब श्वांस निकल जाये।