जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
झूठा जग पतियाई (Jhuta Jag Patiyai Kahani)

एक लड़के ने अपनी मां से कहा कि मां मैं नौकरी खोजने जा रहा हूँ । मां ने बच्चे के लिए लड्डू बना दिये और बोली कि इसे साथ ले जाओ जब भूख लगे तब खा लेना | लड़का चलता-चलता एक नदी के किनारे पहुँच गया। वहाँ धोवी कपड़ा धो रहा था । लड़का एक जगह बैठकर लड्डू खाने लगा । धोबी ने आकर पूछा कि भाई क्या खा रहे हो ? वह बोला लड्डू | धोबी ने कहा - कहां से ले आये ? वह बोला उधर जाओ एक गाड़ी में कुछ लोग बैठे लड्डू बांट रहे हैं । तुम भी ले आओ | धोवी ने पूछा तुम्हारा क्या नाम क्या है ? वह बोला - हवा ! धोवी चला गया । लड़के ने जल्दी से
घुले कपड़े जो सूख गये थे उन्हें पहन लिया और कुछ पास रखकर चलता बना । जब तक धोवी आये लड़का कपड़े लेकर गायब हो गया | धोवी ने इधर-उधर. ढूंढ़ा लड़के का कहीं पता नहीं मिला । वह थाने में रिपोर्ट लिखाने गया और उसने कहा, मेरे कपड़े गायब हो गये हैं । थानेदार ने पूछा . कौन ले गया, वह बोला हवा । थानेदार बिगड़कर बोला हवा ने कपड़े उड़ा दिये तो चला आया मूर्ख रिपोर्ट लिखाने | कहीं खोज वहीं इधर-उधर उड़ गये होंगे |

लड़का आगे बढ़ा तो एक जमींदार साहब अपना घोड़ा घुमा रहे थे पर घोड़ा अड़ रहा था । उसने कहा-जमीन्दार साहब लाइए घोड़ा मैं घुमा दूं । जमीन्दार साहब ने पूछा तुम्हारा नाम क्या है ? वह बोला गुम गया | उसने जमींदार के घोड़े की बाग थामी और उस पर सवार हो गया । थोड़ी... ! देर आगे-पीछे घोड़े को घुमाता रहा । फिर जो एड लगाई तो यह जा वह जा । जमींदार बेचारे चुपचाप देखते रहे | वह घोडा लेकर चलता बना । मींदार पहुँचे थाने में रिपोर्ट लिखवाने । उन्होंने कहा थानेदार साहब मेरा घोड़ा ले गया । थानेदार ने पूछा कौन ले गया, तब जमींदार बोले
गुम गया । तब थानेदार ने कहा अरे साहब आप भी अजीब आदमी है। गुम गया तो पता लगाइये कहीं आस पास गया होगा । यहां रिपोर्ट लिखवाने की क्या जरूरत है।

वह लड़का आगे चला जा रहा था घोड़े पर | एक बुढ़िया अपनी लड़की को उसके ससुराल पहुँचाने जा रही थी | लड़की थक गई थी । बुढ़िया ने कहा ऐ बेटा | मेरी लड़की को फला गांव तक पहुँचा दो यह थक गई है | उसने बात मान ली | बुढ़िया ने पूछा । तुम्हें कहां जाना है ? कह बोला उधर की तरफ | बुढ़िया कहां तब ठीक है वेटा मेरी लड़की को उसके घर छोड़कर तुम अपने गाँव चले जाना लड़की को उसने घोड़े पर बैठा लिया | बुढ़िया ने पूछा बेटा तुम्हारा नाम क्या है ? वह बोला - दामाद ! वह लड़की को लेकर चलता बना | जब बुढ़िया लड़की के ससुराल पहुंची और उसे जब यह मालूम हुआ कि लड़की अभी भी नहीं पहुंची है तो वह सीधे थाने पहुंची । उसने कहा – थानेदार साहब ! मेरी लड़की को वह ले गया । थानेदार ने पूछा माई कौन ले गया तुम्हारी लड़की को ? बुढ़िया ने कहा - दामाद! | थानेदार हंस पड़ा उसने कहा - अरे माई तू पागल हो गई है क्या लड़की को दामाद नहीं ले जायेगा तो कौन ले जायेगा। .बुढ़िया विचारी चुपचाप लौट गई |

वह लड़का लड़की को लेकर चला जा रहा था । रास्ते में एक दूसरी बुढ़िया एक पोटली लिये जा रही थी । उसमें कुछ सोने चांदी के सिक्के वगैरह थे बुढ़िया ने कहा - ऐ बेटे मेरी पोटी अपने घोड़े पर रखकर वहां तक पहुँचा दे मैं थक गई हूँ । उसने कहा - नहीं मैं नहीं ले जाऊँगा और आगे बढ़ गया फिर उसके मन में ख्याल आया कि हो सकता है कि पोटली में कुछ हो ? तो चलो उससे ले ही लें । और उसने घोड़े को पीछे मोड़ा बूढ़िया के पास आकर बोला - लाओ दे दो माई अपनी पोटी मैं पहुँचा दूँ । बुढ़िया ने कहा जिसने तुमसे कहा कि पोटली लेलो वही मुझसे भी आकर
कह गया कि उसको पोटली देना मत । वह ठीक आदमी नहीं है |

इस कहानी को सुनाते वक्त भी स्वामी जी महाराज बहुत हँसे थे और सुनने के बाद भी स्वामीजी की हंसी से वातावरण गूँजता रहा | फिर स्वामी जी ने कहा कि यह है दुनियां हैं इसमें कैसे-कैसे चकमे दिये जाते हैं । कछ ही लोग होते हैं जो इसमें से बच पाते हैं |