जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
ऋषि अगस्त्य की शिक्षा (RishiAgastya Ki Shiksha Kahani)

Teachings of Sage Agastya

ऋषि अगस्त्य अपने समय के बहुत विद्वान संतों में से एक थे। उनके विषय में ज्यादा कुछ तो नहीं पता कि उनके गुरु कौन थे या फिर उन्होंने कहां से शिक्षा पाई, परंतु कई पुराणों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि उन्होंने ऋषि हयग्रीव द्वारा शिक्षा दीक्षा ली, जिन्हें भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों में से एक माना जाता है। वास्तव में महान ललिता सहस्त्रनाम स्त्रोत और ललिता त्रिशती को ऋषि हयग्रीव ने देवी ललिता त्रिपुरसुंदरी के आदेश पर ऋषि अगस्त्य को सिखाया था। ऋषि द्रोण जिन्हें पांडवों का गुरु माना जाता है, इन्होंने अपने गुरु अग्नि विसा द्वारा युद्ध कला का जो भी ज्ञान सीखा, वही युद्ध कला का ज्ञान पांडवों को भी सिखाया।

ऐसा भी कहा जाता है कि ऋषि अग्नि लिसा ने युद्ध कला का यह ज्ञान ऋषि अगस्त्य से सीखा था। ऋषि अगस्त्य वह थे जिन्हें तमिल भाषा के व्याकरण की पहली पुस्तक लिखने का श्रेय दिया जाता है। उन्हें तमिलनाडु में चिकित्सा की “सीधा प्रणाली” को खोजने और उसे लोकप्रिय बनाने का श्रेय भी दिया गया है। इतना ही नहीं तमिलनाडु के नाड़ी ज्योतिष का संस्थापक भी ऋषि अगस्त्य को ही माना जाता है। हालांकि केरल वासियों का यह भी दावा है कि वह महान पुरुष ऋषि अगस्त्य ही थे, जिन्होंने उन्हें कलारी पित्तु की मार्शल आर्ट सिखाई।