परम् पूज्य महाराज जी (बाबा उमाकान्त जी महाराज) का आदेश है हर सत्संगी
भाई-बहन को कम से कम 2-3 प्रार्थनाएँ जरूर याद होनी चाहियें
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हे दीन बंधु गुरुवर सुनलो विनय हमारी प्रभु इस तरह सदा ही झांकी मिले तुम्हारी।।
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He Deen Bandhu Guruvar Sunlo Vinay Hamaree Prabhu Es Tarah Sadha He Jhaki Mile Thumhare
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हे दीन बंधु गुरुवर सुनलो विनय हमारी
प्रभु इस तरह सदा ही झांकी मिले तुम्हारी।।१।।
तुम हो अनंत आदि घट-घट के प्राण वासी,
तुमसे जगह न खाली मथुरा हो या हो काशी ।
भीतर झलक रही है लीला अजब तुम्हारी।।२।।
तुमने दिखाया चन्दा सूरज चमकते तारे
यह रूप भी दिखाया लगते हो कितने प्यारे।
कल-कल की नाद करती नदियाँ हैंकितनी प्यारी।।३।।
बाजे बजारहे हो अन्तःकरण मे आकर
खुशियाँ अनंत होती तुमको ह्रदय मे पाकर ।
कितनी मधुर- मधुर है अनहद कीतान प्यारी ।।४।।
तुम्हो वहीबताते जो राम ने बताया
तुम्हो वहीदिखाते जोकृष्ण ने दिखाया
तेरी मुखार बिन्दु सब सन्तो की है वाणी ।।५।।
अज्ञान ये अनाडी दुनिया कहाँ से जाने,
सब कुछ दिखाओ फिर भी भगवन कहाँ ये माने।
भक्तों ने देख पाई लीला अजब तुम्हारी ।।
हे दीन बंधु गुरुवर सुनलो विनय हमारी,
प्रभु इसतरह सदा ही झांकी मिले तुम्हारी।।६।।
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