जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
परम् पूज्य महाराज जी (बाबा उमाकान्त जी महाराज) का आदेश है हर सत्संगी भाई-बहन को कम से कम 2-3 प्रार्थनाएँ जरूर याद होनी चाहियें

जब नींव धर्म की हिलती है, कोई हस्ती खुदा से उतरती है

Jab Nev Dharm Ki Hilte Hai Koi Hasti Khuda Se Utarti Hai

जब नींव धर्म की हिलती है, कोई हस्ती खुदा से उतरती है ।

भूले भटके इंसानों पर, रहमत की नजर वो करती है ।

रूहें जो गुनाहां से रहती दबी, वो पास में आती डरती हैं ।

उनसे भी मोहब्बत ये करती, सब माफ गुनाहें करती हैं ।

कोई गैर नहीं सब अपने हैं,यह ख्याल सभी में भरती है ।

इंसान व सब मखलूके जहाँ, हिल मिलकर जहां में रहती है ।

रूहानी तरक्की करती हुई, दीदार अनलहक करती हैं ।

ऐसी रूहानी हस्ती यहाँ, जब आ के जहां में चमकती हैं ।

रहमान उन्हें सब कहते हैं,रूहों पे रहम वो करती हैं ।

रहमत व मोहब्बत की दुनिया, एक बार दोबारा बनती है ।

हर तरफ सकून है फैल जाता, बन जाती स्वर्ग यह धरती है ।

दुनिया का नजारा आज जो है, इसे देख निगाहें झुकती हैं ।

आज मर्द तो क्या है जनाना भी, शर्म हया का पर्दा उठाए चलती है ।

कोई धर्म नहीं अब इनका रहा, दिन रात गुनाहें करती हैं ।

मखलूकों की गर्दन कटतीं है, खातूनों की अस्मत लुटती है ।

अल्लाह के ईमान वालों पर, अब दुनियां ताने कसती है ।

आमिर, आलिम व बुजुर्गों की, कोई बात न दुनिया सुनती है ।

हर तरफ गुनाहों के बोझों से, तब आज दबी ये धरती है ।
तब जयगुरुदेव अनलहक से, नूरानी हस्ती उतरती है ।
जब नींव धर्म की हिलती है, कोई हस्ती खुदा से उतरती है ।