मेरे तन से प्राण निकले, गुरु सेवा करते-करते ।
यह बात कह रही हूँ, स्वामी से डरते-डरते ।
कही मैं भी रह न जाऊँ, यहाँ हाथ मलते-मलते ।
माया हटा रही है, गुरु तेरे रास्ते से ।
परदा हटाओ स्वामी, दरशन के रास्ते से ।
कहीं मैं भी थक न जाऊँ, यहाँ राह चलते-चलते ।
दिया नाम धन खजाना, रखने का ज्ञान बख्सो ।
तीनों खड़े हैं दुश्मन, बचने का ज्ञान बख्सो ।
आ जाऊँ तेरे दर पे, यूँ ही राह चलते-चलते ।
मेरे तन से प्राण निकले, गुरु सेवा करते-करते ।
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