जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
परम् पूज्य महाराज जी (बाबा उमाकान्त जी महाराज) का आदेश है हर सत्संगी भाई-बहन को कम से कम 2-3 प्रार्थनाएँ जरूर याद होनी चाहियें

सतगुरु के संग फाग आज, सखि अद्भुत खेली

Satguru Ke Sang Fag Aaj Sakhi Adbhut Kheli

सतगुरु के संग फाग आज, सखि अद्भुत खेली ।

अबीर गुलाल कपूर कुसुम, चन्दन केशन जल धोरी ।। 1 ।।

भरि भरि पिचुकारि गुरु मारहिं,

पांच तीन संग छोड़ी, प्रगट भई पांच सहेली ।। 2 ।।

सो पांचों सखियां निज बहियां

प्रेम सहित गल मेली, शीतल भई तपनि गई सारी,

तन मन की सुधि भूली, धन्य सतगुरु की चेली ।। 3 ।।

पुनि का भयो कहूँ कस सजनी, कहि न सकूं मुख खोली,

छिन मह भयो श्रृंगार विविध विधि,

मैं बन गई नवेली, हार गुरु गल बिच मेली ।। 4 ।।

गुरु ले अंक प्यार मोहि कीन्ही,
अचल सोहाग दियो री, बाहर नैन खुले तो देखा,
गले बिरह की सेली, जरे तन मन की होली ।। 5 ।।