सतगुरु परम् दयाल री, कोई कदर न जानी ।
जीव अनाड़ी जग झक मारे, दुःख सुख संग बेहाल री । कोई..
छूटन की गुरु जुगत बतावे, मेटे घट दुख साल री । कोई..
दया वचन करनी फरमावे, काटे जम का जाल री । कोई..
निस दिन तेरे अंग संग डोले, जैसे मां संग बाल री । कोई..
अन्त समय जब तेरा आवे, आप होंय रक्षपाल री । कोई..
घट तेरे में प्रकट करावें, अपना रूप विशाल री । कोई..
पकड़ चरण तू निज घर चल दे, हो गई परम् निहाल री । कोई..
जयगुरुदेव स्वामी सतगुरु भेंटे, हो गई माला माल री । कोई
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