सतसंग में सुख शान्ति भरो है, मानव का परमार्थ धरो है ।
साधु समाज प्रयाग यही है, भक्तों का अनुराग यही है ।
सन्तन का सर्वस्व धरो है। सत्संग में सुख.....
तिरवेनी स्नान यही है, वेद, यजुर, ऋग, साम यही है ।
सत्य सिन्धु का श्रोत यही है, भव सागर का पोत यही है,
धन्य सो जिन सतसंग करो है, सतसंग में सुख...
मानव का कल्याण यही है, जन समाज का प्राण यही है,
प्रभु पावन का पन्थ यही है, जप तप साधन मंत्र यही है ।
पारस कंचन करत खरो है, सतसंग में सुख....
सत्य ईश भगवान कहां हैं, भेद मिले सतसंग जहां है ।
सतसंग जयगुरुदेव तुम्हारा, पावे जो दीन होय कोइ प्यारा ।
बिन सतसंग पशुवत विचरो है, सतसंग में सुख....
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