यही वंदना है गुरु से बारंबार ।
हमारा देश फूले फले, कि प्यारा देश फूले फले ।। 1 ।।
शाकाहार प्रचार की बजे शहनाई, गूंज उठे उपवन बाग अमराई,
बहे मंद मंद चंदनी बयार ।। 2 ।।
फूले पलाश बन बाग अमराई, कोयल शुक पपीहा की बोली सुहाई,
एक तार में अनेक झंकार ।। 3 ।।
नये वर्ष की नयी भावना जगाऊं, प्रेम थाल लेके नयी आरती सजाऊं,
मिले गुरु चरण कमलों का प्यार ।। 4 ।।
मृदुल मोहिनी रूप गुरु जी तुम्हारा, सुभग सलोना रूप लगे अति प्यारा,
बहे नैनों से अमृत की धार ।। 5 ।।
मिला है इशारा समय अच्छा नहीं है, भूत है सवार लोग सुनते नहीं है,
कहीं नैया ना डूबे मझधार ।। 6 ।।
होगा नरसंहार सुनकर हृदय कांपता है, भारी भयंकर दृश्य नैन भांपता है,
कैसी होगी ये कुदरत की मार ।। 7 ।।
दुखों का पहाड़ जब टूट ही पड़ेगा, त्राहिमाम त्राहिमाम जग में मचेगा,
दुखों की ये बदली दो टार ।। 8 ।।
चारों तरफ प्रभु के जब भीड़ लग जाएगी, इन्ही को निहारने की होड़ मच जाएगी,
होगी बेबसी में तेरी ही पुकार ।। 9 ।।
बंदे रो पड़ेंगे तो निदान क्या होगा, दया के निधान का विधान क्या होगा,
अब फूट पड़े तेरी रहमत की धार ।। 10 ।।
धार्मिक सामाजिक राजनैतिक परिवर्तन, आर्थिक दशाओं से मचेगा जब क्रंदन,
याद आएगें प्रभु बारंबार ।। 11 ।।
पापी गुनहगार हम सब यही चाहते हैं, बार बार दया की भीख प्रभु से मांगते हैं,
क्षमा करना हमें सरकार ।। 12 ।।
बोलो जयगुरुदेव आप सन्मुख मिलेंगे, रक्षा सम्हाल दुःख दर्द सब हरेंगे,
यही महिमा है सतगुरु तुम्हार ।। 13 ।।
यही वंदना है गुरु से बारंबार ।
हमारा देश फूले फले, कि प्यारा देश फूले फले ।।
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