अब अपना बना लो हमें सतगुरू प्यारे,
रहू जिससे निर्भय सहारे तुम्हारे।
जगत में है समरथ न कोई दिखाता,
बताओ तुम्ही किसके जाउ दुआरे।
ये माना कि सिर मेरे पापों की गठरी,
मगर तेरे बिन कौन स्वामी उतारे।
युगों से ये नैया भॅंवर में पड़ी है,
दया करके अबकी लगा दो किनारे।
अगर अब की डूबी तो गफलत न मेरी,
दयालू शरण में जो आया तुम्हारे।
है विश्वास अबकी न डूबेगी नैया,
जयगुरूदेव पतवार मेरी सम्हाले।
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