तू है रहम का सागर,तेरी हर बात है निराली!
हम पर कृपा तू रखना,कहीँ रह ना जाऊँ खाली!!
अपने शरण मेँ लाकर तूने कृपा जो की है!
बङे भाग्य थे हमारे जो यह दौलत हमको दी है!!
कभी भूल न पाऊ तुमको यह अर्ज है हमारी..!
हम पर कृपा तू रखना..!! तू है रहम का सागर,तेरी हर बात है निराली!!
सत्संग मेँ बुलाकर हमे र्दशन देते रहना,
नाम और दया की बरसा भी करते रहना,
बादशाह से ही अपने मांगा करता है भिखारी!
हम पर कृपा तू रखना…!! तू है रहम का सागर,तेरी हर बात है निराली!!
तेरी साया मेँ गुरुवर अहसास यह हुआ है,
तू उस धाम का वासी हमेँ लेने को आया है,
ले चलो अब मालिक भक्तोँ को बारी-बारी!
हम पर कृपा तू रखना..!! तू है रहम का सागर,तेरी हर बात है निराली!!
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