जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के अनमोल सत्य वचन

Baba Jaigurudev Ji Maharaj Ke Anmol Saty Vachan

Precious true words of Baba Jaygurudev Ji Maharaj : Baba Jaigurudev Ji Maharaj

अच्छे काम हमेशा अच्छे होते हैं और बुरे काम हमेशा बुरे होते हैं| किसी का भी विवेक अच्छे काम को तो पकड़ता है लेकिन बुरे काम के लिए अन्दर डरता है| लेकिन विवश और मजबूर होकर वह बुरे काम करता है|

मैंने बार-बार कहा है और फिर कह रहा हूँ की आगे समय बहुत ही ख़राब आ रहा है| उस भयंकर समय में लोगों को सिर्फ महात्माओं की ही तलाश होगी|

अच्छाई का प्रचार धीरे-धीरे होता है, जबकि बुराई का प्रचार जल्दी होता है| पहले के लोग अच्छाइयों को जल्दी समझते थे, पर अब इसका उल्टा हो गया| अपने ही परिवार में, अपनी ही जाति में, अपने ही समाज में, भाइयों-भाइयों में, बाप-बेटे में इस तरह का दुखमय व्यवहार हो गया की सब अशान्त हो गए| अब सब शांति चाहते हैं पर वह कहीं मिलती नहीं वह तो महात्माओं के पास ही मिलेगी|

दया करने वाला यह नहीं देखता है कि यह बड़ा है, यह छोटा है, यह अमीर है, यह गरीब है, यह जानवर है या पशु-पक्षी है| वह तो सब पर समान रूप से दया करता है| जो सब पर दया करते हैं वो प्रार्थना करते हैं की हे भगवन! हे खुदा! तुम सबको अच्छा बना दो|

सब प्रेमी को जिन्होंने नाम दान पाया है उनको मालूम होना चाहिए कि गुरु कृपा होने लगी हैं| जुग-जुग के शुभ संस्कारों से गुरु मिलते हैं| गुरु कृपा होती है तब नामदान मिलता है| तुम नाम दान आसान मत समझो| सच्चे मालिक का भेद है सच्चे प्रीतम का जब भेद गुरु द्वारा पा लिया जाता है तभी गुरु और मालिक की दया का परिचय मिलता है| गुरु समर्थ हैं, सब जानते हैं, उन्हें अँधा मत समझो कितनों पर गुरु कृपा तुम्हें देखने को मिल रही है| गुरु बाहर भी संभाल करते है, गुरु अंतर में भी संभालते हैं, बड़े-बड़े संसारी काम भी करा देते है| संसारी प्रीत देने के लिए होशियार रहो चुस्त और सतर्क रहो| गुरु वचन जय गुरुदेव, जय गुरुदेव को याद करते रहो ध्यान गुरु का ही करते रहो|

दो धारा उतारी गई एक NEGATIVE और एक POSITIVE एक धार खींचती हैं दूसरा फेंकती है अगर तुम ऊपर जाना चाहते हो तो धार को पकड़ लो जो खींचती है| फेंकने वाली धार तुमको न जाने कहाँ फेंक दे| अभी तुमको सत्संग नहीं मिल रहा है, अभी तो सत्संग की इच्छा जगाई जा रही है जब भूख लगती है तब खाना रुचिकर लगता है, प्यास लगती है तब पानी का स्वाद आता है| बिना भूख के खाना खा लिया तो अजीर्ण हो जायेगा| अब थोड़ा-थोड़ा महौल बनाया जा रहा है और थोड़ी-थोड़ी भूख लग रही है| भूख लगेगी, सत्संग सबको मिलेगा सत्संग में बैठे-बैठे लोग स्वर्ग और बैकुण्ठ में नारद की तरह जायेंगे और फिर मृत्युलोक में वापस लौट आयेंगे यह है जय गुरुदेव अंतर्धवानी|

जो लोग नाम दान प्राप्त कर चुके हैं उन लोगों को हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए की मन किन-किन चीजों में जाता हैं जब तक आप मन को रोकेंगे नहीं, भजन नहीं होगा न ही भजन में रस आएगा मन तरंग में बहेगा तो साधना कौन करेगा? मन साथ नहीं देगा तो जीवात्मा कुछ नहीं कर सकती है|

थोड़ी सी मन की निरख परख करते रहें सत्संगी यही गलती करते है की मन को रोकते नहीं हैं| – मन को रोको| थोड़ा आप मेहनत करो, थोड़ा गुरु मेहनत करें थोड़ा मालिक करे| आप मेहनत नहीं करेंगे तो कुछ नहीं होगा| जब वह कृपा करेगा तो ऊपर मालिक बैठा है उसकी दया होगी|

जो लोग संत महात्माओं की आलोचना करते हैं और मखौल उड़ाते है उनको पता नहीं की आगे क्या होने वाला है ऐसा वक्त आ रहा है की गाँव के गाँव उजड़ जायेंगे|

टैक्स, मंहगाई और मुसीबत ऐसी आ रही है की लोगों को दिन में ही तारे नज़र आने लगेंगे|

सत्संगी बिना नागा किये सुमिरन-ध्यान करते चलें जायें| उछल कूद करेंगे तो छूट जायेंगे जैसे समुन्द्र में ज्वार भाटा आता है और बड़े-बड़े जहाजों को किनारे लगा देता है उसी तरह से प्रतीक्षा में रहो| जब दया का ज्वार भाटा आयेगा और तुम दरवाजे पर बैठे रहोगे तो एक बार तुम्हारी दिव्य आँख खुल जायेंगी और यही से बैठकर तुम नित्य नारद की तरह स्वर्ग में बैकुण्ठ में आने जाने लगोगे| इसलिए दया के घाट पर नित्य बैठो और आँखों के ऊपर चलो जहाँ प्रकाश ही प्रकाश है अँधेरा का नामोनिशान नहीं है|

आपके पास चीज है तो दुसरे को क्यों श्रेय देते हो कलयुग जायेगा सतयुग आएगा तुम अपना काम करो, आनेवाला अपना काम करेगा, जानेवाला अपना काम करेगा| करने वाला तो क्षणों में काम कर देगा फिर तुमको श्रेय क्या मिलेगा| राम रावण को मार देते तो हनुमान को श्रेय क्या मिलता और किस बात का इतिहास बनता|

स्वार्थ परमार्थ की टक्कर हो रही है| बीच में रुई रख दो आग लग जाएगी| पत्थर से पत्थर टकराएगा तो एक चिनगारी निकलेगी पर आग नहीं बनेगी| बीच में रुई रखो तो वही चिंगारी आग बन जाएगी महात्मा जगत में बड़े खिलाड़ी होते है| ऐसे-वैसे नहीं होते है जैसे तुम समझते हो| उनको समझना बहुत गहन है|

महात्माओं के यहाँ कभी नुकसान नहीं होता है| तुम्हारा कर्म शूली का कांटा बन जाता है| महात्मा से लेना न लेना तुम्हारी बात है| मालिक के नाम पर बर्दाश्त करना यह भक्त का काम है, भक्त को सर पर रखना यह भगवान का काम है|

सभी सत्संगी समय निकलकर हर रोज भजन करें जय गुरुदेव जी महाराज का क्योंकि भजन से आत्म कल्याण होगा| कर्म से शरीर स्वस्थ रहेगा|
आगे महात्माओं की जरुरत सबको पड़ेगी| किसान, मजदुर, व्यापारी, कर्मचारी, नवयुवक सबका भला केवल महापुरुष ही करेंगे और कोई करने वाला नहीं है| जो उनको ठण्डक और शांति दें|

जो लोग आश्रम आते हैं उन्हें आश्रम के नियमों का पालन करना चाहिए आश्रम के सामान चुराकर ले जाने वाले अपना ही नुकसान करते है वैसे बगैर पूछे आश्रम का एक पत्ता भी नहीं छूना चाहिए|

तुम रास्ता बना लो| रास्ता बनाने की जरुरत है जिन्होंने आज्ञा का पालन किया उन्हीं को कहते है भक्त और सेवक| हनुमान जी की कोई सुन्दर शक्ल(चेहरा) नहीं थी जो आप उनपर रीझ जाओगे पर वास्तविकता तो है उनकी पूजा होती है झगड़े-झंझट से अलग रहना चाहते हो तो भजन करों, अच्छा समाज बनाओ, अच्छे मित्र बनाओ|

कलयुग में लगे रहो- ये “करयुग” है| करो और प्राप्त करो धीरे-धीरे सब हो जायेगा| आप लोग एक-एक बातें परमार्थ की ओर लेकर जाओं| लोगों के कानों में डाल दो तुम अपनी बात कहते रहो| कान में डाल दो वह काम करता रहेगा|

जय गुरुदेव नाम धोनी लेते रहो अपना काम करते करो| चमत्कार को नमस्कार| तुम घमण्ड मत करो| क्षणों में बदल दिए जाओगे किसी को पता भी नहीं लगेगा इसलिए घमण्ड मत करो मैं कहाँ से बोल रहा हूँ कहाँ से लिख रहा हूँ तुम्हे पता नहीं|

मेरा उपदेश सबके लिए है| जो हुकुम मिल जाय उसे पालन करो| तुमने देखा फ़ौज में हुकुम मिलता है मरो या मारो फ़ौज चल पड़ती है| महापुरुषों का आदेश काम का होता है आदेश नहीं मानोगे तो तुम्हारे लिए घातक हो जायेगा| तुम वीर बनो नपुंसक, कायर और हिजड़ा मत बनो|

महात्मा जब सीधा डमरू बजाते हैं तब भीड़ इकट्ठी होती है| महात्मा उल्टी डमरू बजाना भी जानते है जब वे उल्टी डमरू बजाते हैं तब छटनी हो जाती है|

तुम यहाँ सेवक बनने आये हो मालिक बनने नहीं, तुम मेरे ठेकेदार मत बनो| मेरा ठेकेदार केवल भगवान है|

मैं चाहता हूँ की सब लोग घर में, परिवार में, समाज में, जातियों में सुमति से रहें| सुमति से रहेंगे तो किसी के साथ मारपीट, झगड़ा, लुट, धोखा, खून-खराबा, चोरी आदि चीजे नहीं होगी| हम चाहते है की सबमें सुमति आ जाये|

जय गुरुदेव मथुरा के वचनों को हमेशा याद रखो| वचन याद रहेंगे तो काम और माया का जोर नहीं चलेगा|

वक्त आ गया है जब लोग बदल जायेंगे ऐसे वक्त में बड़ी होशियारी से सबको रहना चाहिए|

जब कोई वस्तु मिलती नहीं वह मन को अच्छी लगती है| जब वो मिल जाती है तो कई प्रकार के संकटों और दुखों का कारण बन जाती है|

कुंवारी कन्या को वर चाहिए और वर को कन्या चाहिए, निर्धन को धन लाने की चिंता है तो धनवान को धन सँभालने की, जिनके पास संतान नहीं है वे संतान के लिए तड़प रहे हैं और जिनके संतान है उन्हें संतान के कारण अनेक प्रकार के दुःख झेलने पड़ रहे हैं| यह संसार अधूरा और नाशवान है किसी को सुख नहीं दे सकता इसलिए गुरु के शरण में चलो|

तुम्हारे जीवन का एक-एक दिन कम हो रहा है इसलिए तुम हमेशा सोचते रहो की हमें जय गुरुदेव भजन आरती करना है| भजन से ही आत्मा जगेगी उसे होश आएगा और उलट कर अपने घर सत्तलोक की तरफ चल पड़ेगी|

महात्माओं के किताबों का अर्थ तो तब समझ में आएगा जब तुम भजन करोगे|

संत जब सत्तलोक से उतर कर शरीर में आए तो वही सत्-पुरुष हैं गुरु जगा हुआ है और गुरु रूप में सत्तपुरुष ही आया हुआ है उनकी महिमा ईश्वर, ब्रह्मा, पारब्रह्म, देवी-देवता कोई नहीं कर सकता|

सत्संग सुनते-सुनते जब उदासीनता होने लगे तो समझ लो की दया हो रही है यह शरीर, यह सामान और यह देश सब कुछ छोड़कर तुम्हें यहाँ से जाना है| इस पाठ को बराबर याद करते रहो|

संसार में दो चीजें हैं एक संग और दूसरा कुसंग| महात्माओं का संग कर लो तो काल के जाल से निकल जाओगे|

इन्सान को हमेशा डर और खौफ बना रहता है इस समाज, परिवार, जाति, छोटे-बड़े, दुःख-भय आदि का यहाँ तक की नरक लोक का भी भय बना रहता है लेकिन सत् लोक का कोई भय नहीं रहता वह स्थान निर्भय स्थान है तो हमें ऐसे स्थान के लिए तैयारी करनी चाहिए|

जो सत्संगी हैं उनको नाम कमाई में लगाना चाहिए| जो दिखाई पड़ रहा है वह समय अच्छा नहीं है आप लोग संभल जाओ|

संत जय गुरुदेव जीवों को माफ़ करें तभी कुछ हो सकता है तकलीफ और परेशानियाँ दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है| काल तो अपने दोनों काम करता है दया भी करेगा, सजा भी देगा लेकिन महात्मा और संत केवल दया काम में लेते हैं| यह बात लोग समझ नहीं पाते|

तुमसे बार-बार कहा जाता है की भजन करो, भजन करो| तकलीफे और परेशानियाँ तो आएगी ही और भजन ही उनका इलाज है| भजन से कर्म कटेंगे फिर आराम मिलेगा|

लड़ाई-झगड़े से थोडा बचकर रहो घर में चुप रहकर खराब समय को निकल दो| जो-जो कर्म तुमने किये है उनका हिसाब तो देना ही होगा| महात्मा से उसे थोड़े में आसानी से चुकता करवाना चाहते है|

आप जो भी काम-धन्धा कर रहे हो उसे करते रहो| उसमे तुमको बरक्कत मिलेगी इधर-उधर चक्कर मारोगे तो कुछ अधिक मिलने वाला नहीं है| अपने प्रारब्ध पर भरोसा रखो| दया बराबर मालिक की हो रही है|

टूटे हुए दिलो को महात्मा ही जोड़ सकते है| रहम और दया का खजाना फकीरों के पास होता है| ऐ इन्सान! सुकून और शांति फकीरों के पास ही मिलेगी| अब देश का भला धार्मिक लोगों के द्वारा ही होगा|