जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
एक नजर मे मीरा बाई (Ek Nagar Se Meera Bai Kahani)

Meera Bai at a glance | Hindi Stories

मीराबाई का जन्म सन 1498 ई॰ में पाली के कुड़की गांव में दूदा जी के चौथे पुत्र रतन सिंह के घर हुआ। ये बचपन से ही कृष्णभक्ति में रुचि लेने लगी थीं। मीरा का विवाह मेवाड़ के सिसोदिया राज परिवार में हुआ। चित्तौड़गढ़ के महाराजा भोजराज इनके पति थे जो मेवाड़ के महाराणा सांगा के पुत्र थे। विवाह के कुछ समय बाद ही उनके पति का देहान्त हो गया। पति की मृत्यु के बाद उन्हें पति के साथ सती करने का प्रयास किया गया, किन्तु मीरा इसके लिए तैयार नहीं हुईं। मीरा के पति का अंतिम संस्कार चित्तोड़ में मीरा की अनुपस्थिति में हुआ। पति की मृत्यु पर भी मीरा माता ने अपना श्रृंगार नहीं उतारा, क्योंकि वह गिरधर को अपना पति मानती थी।

मीरा बाई और जहर का प्याला कहानी
रा के पति की मृत्यु एक युद्ध के दौरान हो गई। पति की मृत्यु के बाद जब ससुराल वालों ने मीरा को सती होने के लिए कहा तो मीरा बोली, मेरे पति को श्रीकृष्ण हैं। मीरा पति की मृत्यु के बाद भी मंदिर जाने लगी और भजन-गीत गाकर नाचने लगी। इस पर उसके ससुराल वालों ने मीरा पर व्यभिचारिणी होने का आरोप लगाकर भरी सभा में मीरा को विष का प्याला देकर पीने को कहा। मीरा भी श्रीकृष्ण का नाम लेते हुए विष को पी गई। सबको लगा कि अब मीरा जीवित नहीं बचेगी। लेकिन विष का प्याला मीरा के लिए अमृत बन गया। श्रीकृष्ण की कृपा से मीरा पर विष का कोई प्रभाव नहीं हुआ।

ससुराल में कई यातनाएं सहने के बाद जब यातनाएं बरदाश्त से बाहर हो गई, तो मीरा महल छोड़कर कई जगह तीर्थ करते हुए वृंदावन पहुंच गई। इधर मीरा के महल छोड़कर चले जाने से राज में उपद्रव होने लगे। ब्राह्मणों ने कहा कि यदि मीरा वापस लौट आएगी तो सब ठीक हो जाएगा।

मीरा की खोज के लिए दो सैनिक भी भेजे गए थे, उन्होंने मीरा को साथ लौटने की विनती की, लेकिन मीरा ने मना कर दिया। सैनिक बोले यदि आप हमारे साथ जीवित नहीं लौटी तो हम भी वापस नहीं लौटेंगे, हमारे परिवार के बारे में सोचिए।

मीरा ने सैनिकों से कहा यदि मैं तुम्हारे आने से पहले ही संसार छोड़ गई होती, तो क्या तुम खाली हाथ वापस लौट जाते। सिपाही बोले तब तो लौटना ही थी। इतना सुनते ही मीरा ने एकतार वाला यंत्र, एक तारा उठा लिया और श्रीकृष्ण की स्तुति करने लगी। मीरा की आंखों से प्रेम के आंसू बहने लगे और उसी समय मीरा श्रीकृष्ण की मूर्ति में समा गई।