जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
मौत का सामन रखता हूँ (Mot Ka Saman Rakhta Hu Kahani)

hold the salmon of death

एक महात्मा जी के पास एक राजा गया और बोला कि महाराज ! मेरे कोई सन्तान नहीं है । कोई ऐसी दवा दीजिये कि मेरा वंश चले । महात्मा जी ने अपने कुटी के बागीघे से $ घास उखाड़ी और उसे पीसकर तीन गिलास दवा बनाया 2 गिलास तो खुद पी लिया और 1 गिलास दवा राजा को दिया। राजा दवा पीकर लौट पड़ा । जब रास्ते में आया तो उसे बड़ी ताकत का अनुभव हुआ । और मन में सोचा कि एक गिलास और पी लूँ । वह फिर महात्मा जी के पास गया और बोला कि महाराज एक गिलास आर पिला दीजिये महात्मा जी ने अबकी बार ६ गिलास दवा बनाई और ४ गिलास खुद पिया और २ गिलास राजा को पीने को दिया। राजा दवा पीकर महल को लौट गया। उसे इतनी ताकत का अनुभव हुआ कि वासना तीव्र हो उठी | उसने सोचा कि मैंने तो कुल ३ गिलास पिया तो एक दिन में यह हालत हुई और महात्मा जी ने तो मेरे सामने ही ६ गिलास पिया तो उनकी क्या हालत होगी | महात्मा जी के चरित्र पर सन्देह होने लगा।

दूसरे दिन फिर वह महात्मा जी के पास गया और बुरा भला कहने लगा कि आप ऐसे हैं, वैसे हैं । महात्माजी कहने लगे कि मुझसे भूल हो गई | राजा ने कहा कि बहाने बाजी नहीं चलेगी और आपको अपना संब राज बताना ही पड़ेगा। महात्माजी बोले कि राजन् ! दवा मैंने तुमको जो दी थे वह सब बेकार चली गई आज से सातवें दिन तुम्हारी मृत्यु हो जायेगी । यह सुनते ही राजां की सारी गर्मी उत्तर गई और वह फिर नपुंसक हो गया वह सोचने लगा कि मैं ७ दिन में मर जाऊँगा तो क्या होगा राजपाट का।

महात्मा जी ने कहा कि बच्चा ७ दिन बाद मौत की सुनकर तुम्हारा सारा नशा खतम हो गया और दुनियां सूनी हो गई | मैं तो चौवीस घंटे मौत को सामने रखता हूँ तो बुरे रस्ते पर चलने का सवाल ही नहीं उठता।