जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
संत द्वारा सेठ को जेल भेजना (Sant Dwara Sath Ko Jel Bhajna Kahani)

Saint sending Seth to jail – Hindi stories

उस नगरी का राजा भी उस संत जी का भक्त था। संत जी ने राजा से कहा कि आपकी नगरी में किरोड़ीमल सेठ है। चंदन की लकड़ी की दुकान है। उसको फाँसी की सजा सुना दो और एक महीने बाद चांदनी चैदस को फाँसी का दिन रख दो। जेल में सेठ की कोठरी (कक्ष) में फलों की टोकरी भरी रहे तथा दूध का लोटा एक सेर (किलोग्राम) का भरा रहे। खाने को खीर, हलवा, पूरी, रोटी तथा सब्जी देना। राजा ने आज्ञा का पालन किया। जेल में सेठ जी को बीस दिन बंद हुए हो गए। निर्बल हो गया। संत जेल में गया। प्रत्येक बंदी से मिला। सेठ जी को देखकर संत ने पूछा,

कहाँ के रहने वाले हो? क्या नाम है?

सेठ बोला,

हे महाराज! आपने पहचाना नहीं, मैं किरोड़ीमल हूँ चंदन की दुकान वाला।

संत जी बोले,

अरे किरोड़ीमल! तुम दुर्बल कैसे हो गए? कुछ खाते-पीते नहीं। अरे! फलों की टोकरी भी भरी है, दूध का लोटा भरा है। थाली में हलवा, खीर रखी है।

सेठ जी बोले,

हे महाराज! मौत की सजा सुना रखी है। कसम खाकर कहता हूँ कि मैं निर्दोष हूँ। बचा लो महाराज। मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं।

संत जी बोले,

भाई मरना तो सबने है। फिर क्या डरना। खा-पीकर मौज कर।

सेठ जी ने सलाखों में से हाथ निकालकर चरण पकड़ लिए। बोला,


बचा लो महाराज! कुछ ना खाया-पीया जाता, चांदनी चैदस दीखै सै।

संत ने कहा,

सेठ किरोड़ीमल! जैसे आज तेरे को चांदनी चैदस को मृत्यु निश्चित दिखाई दे रही है, इसी प्रकार साधु-संतों को अपनी चांदनी चैदस दिखाई देती है, चाहे चालीस वर्ष बाद हो।
आप अध्यात्म ज्ञानहीन प्राणी मस्ती मारते हो और अचानक मौत ले जाती है। कुछ नहीं कर पाते। ऐसे ही मुझे अपनी मृत्यु का दिन दिखाई देता है जो चालीस वर्ष बाद आना है। इस कारण से खाना-पीना ठीक-ठीक ही लिया जाता है।
मस्ती मन में कभी नहीं आती। परमात्मा की याद बनी रहती है। आपकी ज्ञान की आँखों पर अज्ञान की पट्टी बँधी है जो सत्संग में खोली जाती है जिससे जीने की राह मिल जाती है। मोक्ष प्राप्त होता है। संत ने राजा से कहकर सेठ को बरी करवा
दिया। सेठ ने नाम लेकर कल्याण करवाया।