जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
सेठ का संत के आश्रम में जाना (Sath Ka Sant Ke Aashram Me Jana Kahani)

Seth's visit to the saint's ashram

एक बार कि बात है एक सेठ एक दिन एक संत के आश्रम में गया। संत की आशीर्वाद से उसको अच्छा लाभ हो गया। एक दिन वह सेठ कुछ फल जैसे सेब-संतरों, केलों का बड़ा थैला भरकर संत जी के पास गया और संत जी से स्वीकार करने की प्रार्थना किया । संत जी ने उस फल के थैले को एक टोकरे में डाल दिए जिसमें फल प्रसाद रखते थे। सेठ दो दिन बाद गया तो टोकरा फलों से भरा था। कुछ प्रसाद संत ने भक्तों को बाँट दिया। कुछ भक्त फल प्रसाद लाए, वह टोकरे में डाल दिया। यह देखकर सेठ ने संत से कहा

कि महाराज! आप फल क्यों नहीं खाते?

संत जी बोले कि

मुझको मौत दिखाई देती है। इसलिए खाया नहीं जाता।

सेठ ने पूछा,

महाराज! कब जा रहे हो संसार से?

संत जी बोले,

आज से चालीस वर्ष पश्चात् मेरी मृत्यु होगी।

सेठ बोले,

हे महाराज! यूं तो सबने मरना है, फिर क्यों डरना? यह भी कोई बात हुई। इस तरह तो आम आदमी भी नहीं डरता। आप क्या बात कर रहे हो? सेठ जी दूसरे-तीसरे दिन आए और इसी तरह की बात करे।