चलो गुरु की शरणियां, जगवा से नाता तोड़ के ।।
इस दुनिया से एक दिन प्यारे, पड़ेगा सबको जाना ।
कौड़ी कौड़ी जमा किया सब, छोड़ के माल खजाना ।
एक दिन जाना पड़ेगा, माता पिता से नाता तोड़ के ।।
चलो गुरु की शरणियां...
पेट पकड़ कर माता रोए, बांह पकड़ कर भाई ।
पैर पकड़ कर छोड़त नाहीं, रो रो कहे लुगाई ।
सइंया मत जा अकेले, लाली चदरिया ओढ़ के ।।
चलो गुरु की शरणियां...
चार जने मिल कर के आए, करने लगे तैयारी ।
कोई हाथ कोई पैर पकड़ कर, दीन्हा हमें सँवारी ।
उठावे चार कहरवा, मुखवा से राम नाम बोल के ।।
चलो गुरु की शरणियां...
कोई धूप कोई चंदन लावे, कोई बेल की पाती ।
स्वारथ के सब इस दुनिया में, आगे कोई न संगाती ।
चिता पर हमको लिटावे, ऊपर से लकड़ियां जोड़ के ।।
चलो गुरु की शरणियां...
जो नहीं भजता गुरु नाम, नहीं गुरु शरण में आवे ।
काम बिगाड़े जग में अपना, घोर नरक में जावे ।
यहां से जाना पड़ेगा, अपना पराया छोड़ के ।।
चलो गुरु की शरणियां...
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