जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
परम् पूज्य महाराज जी (बाबा उमाकान्त जी महाराज) का आदेश है हर सत्संगी भाई-बहन को कम से कम 2-3 प्रार्थनाएँ जरूर याद होनी चाहियें

साथी सारे जगे, तू न जागा

saathe sare jage too na jaga

साथी सारे जगे, तू न जागा

बेला अमृत गया, आलसी सो रहा, बन अभागा |

साथी सारे जगे, तू न जागा ||

झोलियाँ भर रहे भाग वाले, लाख पतितों ने जीवन संभाले,

रंक राजा बने, प्रभु रस में सने, कष्ट भागा |

बेला अमृत गया, आलसी सो रहा, बन अभागा |

साथी सारे जगे, तू न जागा ||

प्रभु कृपा से नर तन यह पाया,आलसी बन के यूँ ही गवाया,

उलटी हो गयी मति, कर लई अपनी छति, चोला त्यागा ||

बेला अमृत गया, आलसी सो रहा, बन अभागा |

साथी सारे जगे, तू न जागा ||

स्वांसा एक एक अनमोल बीता,अमृत के बदले विष को तू पीता,

सौदा घाटे का कर हाथ माथे पे धर रोने लागा ||

बेला अमृत गया, आलसी सो रहा, बन अभागा |

साथी सारे जगे, तू न जागा ||

मानव कुछ भी न तुने विचारा, सिर से ऋषियों का ऋण न उतारा,

गुरु का गुण न लिया, गन्दला पानी किया, बन के कागा ||

बेला अमृत गया, आलसी सो रहा, बन अभागा |

साथी सारे जगे, तू न जागा ||