Precious words of Baba Umakant Ji Maharaj for teachers | Baba Umakant Ji Maharaj, Ujjain Madhya Pradesh
जिस तरह से पिता अपने बच्चे के अंदर उच्च भावना, उच्च विचार भरने, उच्च स्थान पाने का प्रयास करता है, ऐसे ही शिक्षकगणों का कुछ समय के लिए विद्याध्ययन के लिए माता-पिता के द्वारा सौंपे गए बच्चे-बच्चियों के लिए प्रयास होना चाहिए, न कि शारीरिक सुख, सुविधा के लिए धन कमाने के लिये। गुरु का स्थान सर्वोपरि रहा है, इसलिए मर्यादा बनाए रखना जरूरी है।
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