Memorable words of Param Saint Baba Umakant Ji Maharaj | Baba Umakant Ji Maharaj
1. जातिवाद, भाई-भतीजावाद, भाषावाद, कौमवाद, एरियावाद खून बहा देता है इससे दूर रहना चाहिए। लोगों को जोड़ने का काम करो, तोड़ने का नहीं । निन्दा किसी की मत करो नहीं तो उसके पाप कर्मों से दब जाओगे।
2. विश्व के सभी राजनेता, मजहबी धार्मिक गुरु तिफर्काबाजी, आतंकवाद, संभावित विश्व युद्ध नहीं हो ऐसा कार्य करें। इससे इबादत भजन के लिए मिलने वाले शरीर की रक्षा होगी और बर्बाद होने वाला धन देश के विकास में लगेगा।
3. दिल दुखाकर लाया हुआ बिना मेहनत का पैसा फलता-फूलता नहीं बल्कि तकलीफ देता है।
4. अधिकारी, व्यापारी व राजनेता भी नियम और कानून का पालन करें। गलत पैसा कमाने की इच्छा न रखें, अच्छे काम में एक दूसरे की मदद करें। देश और देश की जनता से प्रेम करें। नशामुक्त, शाकाहारी रहें। धर्म परायण भारत देश की मर्यादा को बनाए रखने के लिए सभी नेता एकजुट होकर के मानव हत्या, गौ हत्या, पशु-पक्षी की हत्या बंद करा दें जिससे लोग कुदरती कहर से बच सकें और सतयुग का प्रादुर्भाव धरती पर हो सके।
5. याद कर लो जब कुदरत का खेल शुरू होगा तो एक दिन लोगों को मजबूर होकर शाकाहारी, नशामुक्त बनना ही पड़ेगा।
6. अगर मांसाहार बंद नहीं हुआ तो ऐसी-ऐसी बीमारियाँ आयेंगी कि रात को बीमार हुए, सुबह ख़तम हो गए , जैसे कहते हो ‘चट मंगनी पट ब्याह’।
7. इतिहास उठाकर देख लो, युग परिवर्तन के समय महापुरुषों की बात न मानने पर बहुत से लोगों की जान चली गई। कलयुग में ही सतयुग आने का समय हो रहा है इसलिए लोगों को नशामुक्त, शाकाहारी, सदाचारी बनाओ जिससे ख़राब समय से बच जाएँ और सतयुग को अपनी आँखों से देख लें।
8. कुदरत के बनाए नियम-कानून का पालन करने से सुख मिलेगा।
9. ध्यान दें! बच्चे और बच्चियों के चरित्र का गिरना भारत जैसे धार्मिक देश के लिए खतरनाक होगा।
10. यह मनुष्य शरीर जीते जी प्रभु दर्शन के लिए मिला है। समर्थ गुरु को खोजो, नाम की कमाई करके आत्मा का कल्याण कर लो।
11. मृतक शरीर की मुक्ति तो श्मशान घाट पर हो जाती है परन्तु आत्मा की नहीं इसलिए जन्म-मरण की पीड़ा, नर्क-चौरासी के कष्ट से बचने के लिए वक्त के समर्थ सतगुरु के पास पंहुचकर आदिकाल का पांच नाम लेकर प्रार्थना, सुमिरन, ध्यान, भजन करके आत्मा की मुक्ति करानी चाहिए।
12. गुरु के द्वारा बताये गए पांच नाम का सुमिरन, ध्यान, भजन नित्य करते रहो तथा जान-अनजान में मन, तन, वचन व धन से बन गए कर्मों को काटने के लिए मानव धर्म, सच्चा आध्यात्मिक धर्म का प्रचार करते रहो व करने में सहयोग करते रहो।
13. याद रखो कि प्रकृति का यह नियम है - सन्त, अवतारी शक्तियां, कोई भी हो जब मनुष्य शरीर छोड़कर चले जाते हैं, वापस उसी शरीर में कभी नहीं आते।
14. सन्त सतगुरु चोला छोड़ने से पहले जिसको नामदान देने का अधिकार देकर जाते हैं उसके मुंह से सुनना जरुरी होता है।
15. यह भी याद रखो! जो गुरु व गुरु के मिशन को आगे बढ़ाने में सहयोग करते हैंए इस दुनियां में उनको मन चाहा पद-प्रतिष्ठा देकर गुरु एहसान तो चुका देते हैं लेकिन जब एहसान खत्म हो जाता है तब उसको दुःख ही मिलता है। इसलिए सतगुरु से दुनियां की चीज नहीं मांगनी चाहिए।
16. प्रारब्ध को आगे-पीछे करने की पावर वक्त के समर्थ संत सतगुरु के पास ही होती है।
17. यह मनुष्य शरीर लाखों योनियों में भटकने के बाद मिला है। इसको पाने के लिए देवता, फरिश्ते तरसते रहते हैं। धन, बल, पद प्रतिष्ठा पाकर मौत और प्रभु को भूलना नहीं चाहिए।
18. त्रिकालदर्शी से सन्तों का दर्जा ऊंचा होता है। जिसको आदि अंत का पता होता है वही सन्त होता है।
19. सबसे बड़ा परोपकार जीवात्मा को शब्द का भोजन कराना है।
20. गुरु की दया दुआ लेकर लोक-परलोक बनाने के लिए जरूरी है कि - तन मन से सांचा रहे, सतगुरु पकड़े बांह। काल कभी रोके नहीं, देवे राह बताय।।
21. कितना भी बलवान धनवान उच्च पद पर आसीन राजा, महाराजा, बादशाह मनुष्य योनि में हो एक दिन सबको यह माल असबाब छोड़कर मृत्यु लोक से जाना पड़ेगा यानी मरना पड़ेगा इसीलिए तो कामिल मुर्शिद यानी समर्थ गुरु के पास जाकर लोग इल्म लेकर निजात (मुक्ति मोक्ष) लेते थे। यह तवारीख (इतिहास) में मिलता है।
22. आजमाइश करके देख लोए जयगुरूदेव नाम प्रभु का ही है। जब मुसीबत में आदमी, देवी-देवता, फ़रिश्ते मददगार नहीं होंगे तब जयगुरूदेव नाम शाकाहारी,चरित्रवान, नशामुक्त लोगों के लिए मददगार होगा।
23. ऐ इन्सान! तू आँख खोल । महात्मा फकीर तुझे बुला रहे हैं। उनके चले जाने के बाद तेरे दिल में यादगार और तड़प ही रह जाएगी।
24. हिंसा, हत्या करने, कराने वालों को नर्कों में भारी सजा भोगनी पड़ती है।
25. ऐ इन्सान! तूने जबान के स्वाद के लिए दया (रहम) छोड़ दिया।
26. रहम करो रहमान मिलेंगे। दया करो भगवान मिलेंगे।।
27. जानवरों की बलि चढ़ाना महापाप है। बलि काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार की चढ़ाओ।
28. उत्थान धर्म से और पतन पाप कर्म करने से होता है।
29. जयगुरुदेव नाम रट लो और लोगों को रटा दो। कोई भी शाकाहारी, सदाचारी, नशामुक्त व्यक्ति मुसीबत के समय जयगुरुदेव नाम बोलकर मदद ले सकता है।
30. घड़ी बता रही है कि जीवन का एक-एक पल निकलता जा रहा है। सोचो! मौत के बाद कहाँ जाएंगे।
31. अब ऐसा समय आ गया है कि आप सब लोग शाकाहारी, चरित्रवान, नशे से मुक्त, देश प्रेमी, धर्म प्रेमी बनकर कुदरती कहर का मुकाबला करो, नहीं तो अस्तित्व ही मिट जाएगा।
32. भारत धर्म-परायण देश है, यहाँ धर्म का बड़ा महत्व है, इसलिए धर्म पर राजनीति नहीं होनी चाहिए बल्कि राजनीति में धर्म लाना चाहिए।
33. याद रखो ! भारत जैसे देश में जब माँ, बहन, बहू, बेटी की पहचान खत्म हो जाती है तब महाभारत जैसा विनाश होता है, इसलिए चरित्रवान बन जाओ।
34. जल, पृथ्वी, अग्नि, वायु, आकाश ये देवता नाराज हो चुके है। सजा देने के लिए तैयार हैं। बचने के लिए सत्य, अहिंसा, परोपकार व सेवा धर्म को सब लोग धारण कर लें।
35. हड़ताल, तोड़फोड़ आंदोलन, धरना, प्रदर्शन, आगजनी यह किसी समस्या का हल नहीं है। इनसे सदा दूर रहें। देश.भक्ति सर्वापरि भक्ति है।
36. जाति-पाति यानी कौम-कौमियत यह तो लोगों ने बना लिया, मालिक ने तो केवल इन्सान बनाया, तिफरकेबाजी करोगे तो उस मालिक को तकलीफ होगी।
37. याद रहे! हर पशु-पक्षी व मनुष्य में मालिक की अंश जीवात्मा है। इनकी हत्या करने से कोई देवी देवता खुश नहीं हो सकते।
38. आप लोग शाकाहारी, सदाचारी, ईमानदार व मेहनतकश बने रहें वर्ना पाप से बोझिल ये धरती हिलेगी, भूकम्प आयेंगे, सूखा, बाढ़, तूफान, आगजनी का प्रकोप बहुत बढ़ जायेगा।
39. मानव जीवन अनमोल है। इस समय पर मानव और मानवता को बचाने के लिए जाति, धर्म व हर तरह का वाद खत्म करके चिंतन, मंथन, विचार में सभी को लग जाना चाहिए।
40. शराब और मांस के सेवन से खून गर्म और बेमेल होकर काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार तेज करके मनुष्य का नाश करा देता है। इसलिए नशामुक्त व शाकाहारी रहो।
41. सदैव याद रखो! जो तुम कर रहे हो, उसको मालिक देख रहा है और जो कह रहे हो उसको वह सुन रहा है। एक दिन पल-पल का हिसाब तुमको देना पड़ेगा।
42. आत्म धन के बराबर कोई भी धन नहीं है। इसी धन से अर्थ, धर्म, काम व मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।
43. जग के धन, मान व प्रतिष्ठा किसी का भी बराबर साथ नहीं दिया, इसमें लिप्त लोगों को धोखा ही मिला।
44. लूट-पाट, रिश्वतखोरी का अन्न खिला करके परिवार व बच्चों का भविष्य खराब मत करो।
45. ऐसा खराब समय आगे आ रहा है कि नास्तिक को भी खुदा, भगवान एक मिनट में याद आ जाएगा।
46. साधु, महात्मा, पंडित, मुल्ला, मौलवी, फकीर, ग्रन्थी, पादरी, पुजारी, महन्त, मठाधीशए अब आपके बैठने का समय नहीं है, कुदरती कहर से बचने और बचानें में लग जाएँ ।
47. नाम वह शक्ति है, पावर है जो समस्त संसार को चला रहा है। बेशुमार त्रिलोकियां, अगणित ब्रह्माण्ड उस नाम के आधार पर टिके हैं और विहार कर रहे हैं। कभी नाम की कमाई से चीजें प्राप्त होती थीं, अब भी हो सकती है बल्कि कलयुग में तो और आसानी से प्राप्त हो सकती है। जब आप सतसंग सुनेंगे तब सब बातें समझ में आ जाएंगी।
48. दुनिया बनाने वाला ही जब मिल जाता है तो दुनिया की चीजों के लिए भागना नहीं पड़ता है, वह स्वतः ही मिल जाती हैं।
49. सत्य, अहिंसा, परोपकार और सेवा रूपी सच्चे धर्म को अपना लोगे तो जाति-पांति, भाषावाद, क्षेत्रवाद यह सब खत्म हो जाएगा। फिर इन्सान को इन्सान से प्रेम हो जाएगा। मानव मंदिर जो मालिक को प्राप्त करने के लिए मिला, इसको कोई गिराएगा नहीं यानी मानव हत्या के पाप से बच जायेगा।
50. जो निभ्या और जिभ्या पर कन्ट्रोल रखता है, कहीं पर भी रहता है, सुखी रहता है। चरित्रहीन व्यक्ति बगैर मणि के सर्प की तरह से हो जाता है।
51. यह मत सोचो की आँख बचा कर जो गलत काम कर रहे हैं उसे मालिक देख नहीं रहा है। उसके कैमरे से आप कहीं भी बच नहीं सकते।
52. जैसे मकड़ी अपने बनाये जाल में फंस कर मर जाती है, ऐसे ही मनुष्य अपना घर बसाने के लिए धन इकट्ठा करने में ही फंसकर अपना जीवन रूपी अनमोल समय गंवा देता है।
53. पहले के समय में महात्माओं के मार्गदर्शन से लोगों में इतना आत्मबल, आत्म शक्ति थी कि जिस चीज की इच्छा करते, वो पूरी हो जाती थी, जो आज भी संभव है।
54. सतगुरु जब मिलते हैं तब रास्ता भी बताते हैं, रास्ते पर चलाते भी हैं और मंजिल तक पहुँचाते भी हैं।
55. शंका जहाँ पर भी होती है वहाँ नाश होता है। इसलिए शंका का समाधान कर लेना चाहिए।
56. सुख और दुःख अच्छे और बुरे कर्मों के ही फल हैं। जीव हत्या करोगे तो नर्कों की यातना भोगनी ही पड़ेगी।
57. प्रारब्ध की एक-एक चीज मिलती है, सतसंग और संतों का समागम, भजन और पूजन ये प्रारब्ध में भी परिवर्तन ला देते हैं। परन्तु सन्त की दया प्रारब्ध को ही बदल देती है। जो नही भी मिलने का है, मिल जाता है।
58. शराब अपराध और भ्रष्टाचार की जननी है। यदि शराब बन्द कर दी जाए तो कल से ही भ्रष्टाचार और अपराध कम होना शुरु हो जाएगा।
59. संत सतगुरु की दया से तीसरी आंख खुल जाने पर खुदा, भगवान एक ही दिखते हैं।
60. पहले के समय में सन्त, महात्मा, सतगुरु, गुरु से राय लेकर ही लोग काम करते थे। उनसे आशीर्वाद लेकर उनके निर्देश पर जब चलते थे तभी राजा व प्रजा का जीवन सुखी रहता था ।
61. हिंसा - हत्या करने वाला इंसान मालिक की नजरों से दूर हो जाता है। सुकून शान्ति खो देता है, मुक्ति मोक्ष तो उसके लिए संभव है ही नहीं।
62. मनुष्य शरीर 84 लाख योनियों में चक्कर काटने के बाद भजन इबादत करने के लिए मालिक ने दिया है। यह मानव मंदिर है, इसी में वह मालिक मिलता है। ईंट और पत्थर के मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर गिराने की माफी के बारे में तो कभी विचार भी हो सकता है लेकिन मानव मंदिर यानी जिस्मानी मस्जिद गिरा देने यानी मानव हत्या कर देने की माफी कभी होती ही नहीं है, सजा भोगनी ही पड़ती है।
63. सन्त- सतगुरु किसी दाढ़ी -बाल व वेशभूषा का नाम नहीं होता, उनके अन्दर आध्यात्मिक शक्ति होती है, उनके दर्शन व वाणी वचन से ही काफी लाभ मिल जाता है इसलिए तो पहले के समय में लोग उनके पास जाया करते थे और शिक्षा-दीक्षा लेकर निर्देश के अनुसार जब काम करते थे तो इसी गृहस्थ आश्रम में स्वर्ग जैसा आनन्द मिलता था। आज की तरह से लोग घर के झगड़ा झंझट से घर छोड़कर भागते नहीं थे, औरतें जल कर मरती नहीं थी, दहेज और तलाक के मुकदमे चलते ही नहीं थे।
64. फकीर तो जात-ए-खुदा होते हैं। खुदाई आवाज सरजमीं पर फैलाते हैं। उनकी तकरीरों में शिरकत करने से ही निजात का रास्ता मिलता है।
65. ये काल का देश है, सन्त इस देश में मालिक की दया श्रोत लेकर मेहमान की तरह आते हैं और वे परम् पिता व अपने निज घर की याद दिलाते हैं, मना करके, समझा-बुझा करके रास्ता बताकर, उस पर चला करके निजधाम पहुँचाकर मालामाल कर दिया करते हैं। जो लोग उनके उपदेश से अलग हो जाते हैं, उन पर काल सन्त से आँख बचाकर अपना दाव लगा ही देता है।
66. होशियार हो जाओ! थोड़ी सी नासमझी विश्व युद्ध का कारण बन सकती है। विश्व युद्ध को टालने के लिए जिम्मेदार समय से विचार-विमर्श कर लें। जन-धन की हानि से बचत हो सकती है।
67. सच्चे संत के सतसंग में शरीक होने वालों को बीमारी तकलीफ में राहत तो मिलती ही है, श्रद्धा भाव भक्ति के अनुसार कामना भी पूरी होती है।
68. अपने देवी-देवता, गुरु को सम्मान दिलाने के लिए दूसरे के पीर पैगम्बर एवं आराध्य की निन्दा मत करो।
69. शिव नेत्र सबके पास है। समर्थ गुरु की दया से खुल सकता है। याद रहे शंकर जी ने कभी भी नशे का सेवन नहीं किया इसलिए उनके नाम पर नशा करके उनको बदनाम मत करो। ये भी समझ लो बलि चढ़ाने से देवता खुश कभी नहीं होते हैं।
70. कुछ समय के बाद गऊ हत्या बन्द हो जायेगी। देश में गऊ हत्या ही नहीं किसी भी पशु-पक्षी की हत्या नहीं होगी। लोगों की नीयत सही हो जायेगी। लोग नशामुक्त शाकाहारी हो जायेंगे। लोग दूसरे के धन को जहर और दूसरे की मां.बहन को अपनी मां.बहन की तरह से समझने लगेंगे।
71. समर्थ गुरु के उपकार का बदला जीव बिना उनकी रहम के कभी चुका ही नहीं सकता।
72. सेवा से इन्सान, इन्सान के दिल को तो जीत लेता ही है बल्कि खुदा की बनाई हुई चीजों को क्या, खुद खुदा को भी वश में कर लेता है।
73. फकीर महात्माओं के कलाम कभी झूठे नहीं होते। वह जो बोल देते हैं वो होकर ही रहता है।
74. अच्छे भाव रखो, अच्छा चिंतन करो, अच्छे लोगों के पास उठो - बैठो।
75. इबादती यानी भजनानन्दी माताओं के बच्चे बुद्धिमान और नेक होते हैं।
76. हमारे देश की नारियाँ देवी क्यों कहलायीं? क्योंकि समर्थ गुरु से रास्ता लेकर अपनी आत्मा को जगायीं।
77. मन मनुष्य का राजा बन गया, जैसा वो कहता है, उसी तरह से शरीर के अंग काम करने लगते है। मन को वश में करने का चिमटा संतों के पास होता है।
78. जिभ्या के स्वादी मनुष्य के अन्दर से दया खत्म हो जाती है और निभ्या के स्वादी मनुष्य के अन्दर से माँ बहन की पहचान खत्म हो जाती है।
79. मनुष्य का मन कन्ट्रोल से बाहर होकर गलत कामों में लग गया, सही करने का तरीका केवल सन्तों के पास होता है।
80. समर्थ गुरु द्वारा दिए गए नाम से ही उद्धार होता है।
81. सन्तों की दया से अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है।
82. जब दिव्य Ðष्टि खुलेगी तब खुदा भगवान गॉड एक ही दिखेंगे।
83. ख्वाहिशों की इबादत से सपने में भी वो मालिक मिलने वाला नहीं है।
84. याद रहे ! सतसंग वचन से अच्छाई मिलती है व बुराई दूर हो जाती है।
85. दिव्य Ðष्टि खुलने का रास्ता बताने वाले गुरु के मिल जाने पर ही लोक-परलोक बनता है।
86. गुनाहों का अम्बार फकीर के रहमत की नजर से ही जला करता है इसलिए उनके दरबार की हाजिरी जरूरी होती है।
87. सदैव याद रखो ! झूठ बोली हुई बात कुछ समय के बाद भूल जाती है। इन्सान उसको छिपाने के लिए कई झूठ बोलता है फिर भी छिप नहीं पाती। सत्य बात हमेशा याद रहती है इसलिए सत्य ही बोलो।
88. मनुष्य के बिना लगाम के चलने से समाज बर्बाद हो जायेगा।
89. इस समय पर झोपड़ी से महल तक में रहने वाले लोग दुःखी हैं। मानसिक शान्ति नहीं है। लड़ाई- झगड़ा, बीमारी, प्रेत बाधा, कुदरती कहर। इनसे कैसे छुटकारा मिलेगा ? इसका रास्ता लोगों को नहीं मिल रहा है। गैर जानकारी में लोग भटकते रहते हैं, जान तक चली जाती है।
90. आध्यात्मिक विज्ञान संसार के सभी विज्ञान से आगे है। इसका ज्ञान हो जाने पर हनुमान जी जैसी ताकत बदन में आ जाती है जो उड़कर गये और संजीवनी बूटी का पहाड़ उठाकर ले आये थे ।
91. श्वासों की पूंजी गिन करके खर्च करने के लिए मिली है। जो जैसा खर्च करता है, उसी तरह से उम्र कम व ज्यादा होती है।
92. परमेश्वर से गुरु बड़े गावत वेद पुराण, बिना दया गुरुदेव के मिले नहीं भगवान।
93. जीवात्मा के घाट पर बैठोगे तभी सच्चा आनन्द मिलेगा।
94. आज अभी से ही शाकाहारी रहने तथा शराब नहीं पीने का संकल्प बना लीजिए।
95. परमार्थ के तीन स्तम्भ सतसंग, सेवा और भजन ।
96. जयगुरुदेव नाम बोल करके कोई गलत काम मत करना वर्ना सजा मिल जाएगी।
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