जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)

परम सन्त बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के अनमोल वचन

Param Sant Baba JaiGuruDev Ji Maharaj Ke Anmol Vachan

1. अच्छे काम हमेशा अच्छे होते हैं और बुरे काम हमेशा बुरे होते हैं| किसी का भी विवेक अच्छे काम को तो पकड़ता है लेकिन बुरे काम के लिए अन्दर डरता है| लेकिन विवश और मजबूर होकर वह बुरे काम करता है|
2. अच्छाई का प्रचार धीरे-धीरे होता है, जबकि बुराई का प्रचार जल्दी होता है पहले के लोग अच्छाइयों को जल्दी समझते थे, पर अब इसका उल्टा हो गया| अपने ही परिवार में, अपनी ही जाति में, अपने ही समाज में, भाइयों-भाइयों में, बाप-बेटे में इस तरह का दुखमय व्यवहार हो गया की सब अशान्त हो गए अब सब शांति चाहते हैं पर वह कहीं मिलती नहीं वह तो महात्माओं के पास ही मिलेगी
3. अभी कलयुग के आये हुए पांच हजार साल हुए हैं, लेकिन इस अल्पवधि में जो पाप कलयुग के अंतिम चरण में होने चाहिए थे वो अब इस समय में हो रहे हैं। इसलिए इसी युग में कुछ समय के लिए सतयुग आ रहा है। अब जिस दिन दोनों की टक्कर होगी तो महाभारत होगी और एक झटके में बीसों करोड़ लोग समाप्त हो जायेंगे।
4. कलयुग का समय अभी पूरा नहीं हुआ है। उसके प्रथम चरण में ही पाप इतना बढ़ा कि महात्माओं ने युग परिवर्तन की मौज की। इसी कलयुग में सतयुग आयेगा और कलयुग जायेगा। उसके बाद फिर कलयुग लग जायेगा।
5. जो लोग नाम दान प्राप्त कर चुके हैं उन लोगों को हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए की मन किन-किन चीजों में जाता हैं जब तक आप मन को रोकेंगे नहीं, भजन नहीं होगा न ही भजन में रस आएगा मन तरंग में बहेगा तो साधना कौन करेगा? मन साथ नहीं देगा तो जीवात्मा कुछ नहीं कर सकती है
6. दया करने वाला यह नहीं देखता है कि यह बड़ा है, यह छोटा है, यह अमीर है, यह गरीब है, यह जानवर है या पशु-पक्षी है| वह तो सब पर समान रूप से दया करता है| जो सब पर दया करते हैं वो प्रार्थना करते हैं की हे भगवन! हे खुदा! तुम सबको अच्छा बना दो|
7. दो धारा उतारी गई एक NEGATIVE और एक POSITIVE एक धार खींचती हैं दूसरा फेंकती है अगर तुम ऊपर जाना चाहते हो तो धार को पकड़ लो जो खींचती है| फेंकने वाली धार तुमको न जाने कहाँ फेंक दे| अभी तुमको सत्संग नहीं मिल रहा है, अभी तो सत्संग की इच्छा जगाई जा रही है जब भूख लगती है तब खाना रुचिकर लगता है, प्यास लगती है तब पानी का स्वाद आता है| बिना भूख के खाना खा लिया तो अजीर्ण हो जायेगा| अब थोड़ा-थोड़ा महौल बनाया जा रहा है और थोड़ी-थोड़ी भूख लग रही है| भूख लगेगी, सत्संग सबको मिलेगा सत्संग में बैठे-बैठे लोग स्वर्ग और बैकुण्ठ में नारद की तरह जायेंगे और फिर मृत्युलोक में वापस लौट आयेंगे यह है जय गुरुदेव अंतर्धवानी
8. मैंने बार-बार कहा है और फिर कह रहा हूँ की आगे समय बहुत ही ख़राब आ रहा है| उस भयंकर समय में लोगों को सिर्फ महात्माओं की ही तलाश होगी|
9. सब प्रेमी को जिन्होंने नाम दान पाया है उनको मालूम होना चाहिए कि गुरु कृपा होने लगी हैं| जुग-जुग के शुभ संस्कारों से गुरु मिलते हैं| गुरु कृपा होती है तब नामदान मिलता है| तुम नाम दान आसान मत समझो| सच्चे मालिक का भेद है सच्चे प्रीतम का जब भेद गुरु द्वारा पा लिया जाता है तभी गुरु और मालिक की दया का परिचय मिलता है| गुरु समर्थ हैं, सब जानते हैं, उन्हें अँधा मत समझो कितनों पर गुरु कृपा तुम्हें देखने को मिल रही है| गुरु बाहर भी संभाल करते है, गुरु अंतर में भी संभालते हैं, बड़े-बड़े संसारी काम भी करा देते है| संसारी प्रीत देने के लिए होशियार रहो चुस्त और सतर्क रहो| गुरु वचन जय गुरुदेव, जय गुरुदेव को याद करते रहो ध्यान गुरु का ही करते रहो|